पंजाब में होने वाले उपचुनावों से पहले आम आदमी पार्टी (AAP) ने एक बड़ा और साहसिक कदम उठाया है। पार्टी ने अपने वरिष्ठ नेता Gurdeep Baath को पार्टी से निकालने का फैसला किया है।
बाठ, जो पहले AAP के एक प्रमुख सदस्य माने जाते थे,
अब हरिंदर धालीवाल के खिलाफ आजाद उम्मीदवार के रूप में चुनाव मैदान में उतर रहे हैं।
Gurdeep Baath : AAP के खिलाफ चुनाव लड़ने का निर्णय
आम आदमी पार्टी ने इस निर्णय की जानकारी अपने आधिकारिक सोशल मीडिया चैनल पर साझा की।
पार्टी ने स्पष्ट किया कि बाठ ने आगामी उपचुनाव में AAP के खिलाफ चुनाव लड़ने का निर्णय लिया है,
साथ ही मीडिया में पार्टी के खिलाफ बयानबाजी भी की है। इससे पार्टी की छवि पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।
पार्टी के बयान में कहा गया, “आपको याद दिलाना चाहते हैं
कि आम आदमी पार्टी के पदाधिकारी के रूप में आपको पार्टी के प्रतिनिधि के रूप में देखा जाता है।
आपकी गतिविधियां अनुशासनहीनता का उदाहरण हैं, और हम इस तरह के व्यवहार को कभी बर्दाश्त नहीं करेंगे।
” इस संदर्भ में, पार्टी ने बाठ को तत्काल प्रभाव से अपनी प्राथमिक सदस्यता से बर्खास्त करने का निर्णय लिया।
पंजाब की राजनीति में हलचल
गुरदीप बाठ के इस कदम ने पंजाब की राजनीति में हलचल मचा दी है। उनके इस कदम से पार्टी के भीतर के मतभेद भी स्पष्ट हो गए हैं,
और इससे आने वाले चुनावों में स्थिति और भी जटिल हो सकती है।
आम आदमी पार्टी ने इस बर्खास्तगी के माध्यम से अपने अनुशासन को बनाए रखने का प्रयास किया है
और यह संदेश दिया है कि वह अपने सदस्यों के आचरण को लेकर गंभीर है।
हरिंदर धालीवाल के लिए चुनौती
गुरदीप बाठ के चुनावी मैदान में आने से अब हरिंदर धालीवाल के लिए चुनौती बढ़ गई है।
AAP के समर्थकों का मानना है कि बाठ का आजाद उम्मीदवार के रूप में उठाया गया कदम पार्टी की चुनावी रणनीति को प्रभावित कर सकता है।
गुरदीप बाठ के बर्खास्त होने के बाद, अब सवाल यह उठता है
कि क्या वे चुनावी मैदान में अपनी स्थिति बनाए रख सकेंगे या पार्टी के साथ उनके जुड़ाव का कोई सकारात्मक परिणाम मिलेगा।
सियासी गलियारों में इस घटनाक्रम को लेकर चर्चाएं तेज हैं। यह देखना होगा
कि इस बर्खास्तगी का AAP की चुनावी रणनीति पर क्या प्रभाव पड़ेगा और आगामी चुनावों में क्या नया मोड़ आएगा।
पार्टी ने बाठ के खिलाफ इस कठोर कदम से एक बात स्पष्ट कर दी है कि वह अपनी छवि और अनुशासन को लेकर बहुत गंभीर है।
पंजाब में आम आदमी पार्टी का यह फैसला आने वाले चुनावों की दिशा को प्रभावित कर सकता है।