पंजाब विधानसभा के स्पीकर स. कुलतार सिंह संधवां (Kultar Sandhwan) ने केंद्र सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है
कि पंजाब के शैलरों से चावल न उठाना भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार की साजिश है,
जिसका उद्देश्य राज्य की कृषि को कमजोर करना है।
Kultar Sandhwan : पंजाब के किसान आर्थिक संकट में फंसे
अनाज मंडी टांडा के दौरे पर पहुंचे स्पीकर ने स्पष्ट किया कि केंद्र सरकार ने न केवल चावल की लिफ्टिंग में देरी की है,
बल्कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी देने में भी असफल रही है,
जिससे पंजाब के किसान आर्थिक संकट में फंसे हुए हैं।
उनका कहना है कि यह स्थिति किसानों के लिए अत्यंत चिंताजनक है और इस पर तुरंत कार्रवाई की आवश्यकता है।
स. संधवां ने मंडी में धान की लिफ्टिंग का काम
स. संधवां ने मंडी में धान की लिफ्टिंग का काम करते हुए कहा, “किसानों, मिल मालिकों, आढ़तियों और मजदूरों के सहयोग से फसल की खरीद, लिफ्टिंग और भुगतान में किसी भी प्रकार की समस्या नहीं आने दी जाएगी।
” उन्होंने आश्वासन दिया कि सभी संभावित उपाय किए जाएंगे
ताकि किसानों को उनके हक का भुगतान समय पर मिल सके।
उन्होंने आगे कहा कि केंद्र सरकार तीन काले कृषि कानूनों को वापस लेने का बदला लेने के लिए पंजाब के किसानों को परेशान कर रही है।
यह स्पष्ट करते हुए कि यह कोई सामान्य समस्या नहीं है,
उन्होंने कहा कि किसानों के साथ यह अन्याय अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
स्पीकर ने केंद्र सरकार से अपील की कि वह आंकड़ों की राजनीति से हटकर वास्तविकता का सामना करे
और पंजाब की कृषि में योगदान को ध्यान में रखते हुए तुरंत शैलरों से चावल उठाने की प्रक्रिया को तेज करे।
उन्होंने कहा, “केंद्र को चाहिए कि वह किसानों की समस्याओं को समझे और उनका समाधान करे,
न कि उन्हें संकट में डालकर राजनीतिक लाभ उठाने की कोशिश करे।”
पंजाब की कृषि व्यवस्था में सुधार
पंजाब की कृषि व्यवस्था में सुधार लाने के लिए स. संधवां ने राज्य के सभी किसानों से एकजुट होकर इस संकट का सामना करने की अपील की।
उन्होंने कहा, “हम सभी को मिलकर इस साजिश का मुकाबला करना होगा
और यह सुनिश्चित करना होगा कि हमारे किसानों को उनका हक मिले।”
इस बयान के बाद राजनीतिक हलकों में हलचल तेज हो गई है।
क्या केंद्र सरकार किसानों की समस्याओं का समाधान करेगी या फिर यह मामला और भी गंभीर रूप ले लेगा?
यह सब आने वाले दिनों में स्पष्ट होगा।
इस मुद्दे पर राजनीति गर्माती जा रही है, और सभी की नजरें इस बात पर हैं
कि क्या पंजाब के किसान अपनी आवाज उठाने में सफल होंगे या नहीं।
पंजाब के किसानों की समस्याओं का समाधान और उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार के लिए अब समय आ गया है कि सभी पक्ष मिलकर काम करें।