Pradhan Mantri Fasal Bima Yojana : हरियाणा के कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के अतिरिक्त निदेशक (सांख्यिकी) डा. राजेन्द्र सिंह सौलंकी ने पंचकूला जिले के गढी कोटाहा गांव में धान की फसल कटाई प्रयोगों का निरीक्षण किया।
Pradhan Mantri Fasal Bima Yojana : फसल कटाई प्रयोगों के आधार पर ही निर्धारित
उन्होंने स्पष्ट किया कि जिले की औसत पैदावार फसल कटाई प्रयोगों के आधार पर ही निर्धारित की जाएगी,
जो कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत किसानों के क्लेम के लिए भी महत्वपूर्ण होगी।
इस अवसर पर, डा. सौलंकी ने कृषि विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों को निर्देश दिए कि वे वर्तमान खरीफ सीजन में इस कार्य को पूरी सावधानी से करें।
उन्होंने कहा, “इन आंकड़ों के आधार पर ही हम प्रत्येक गांव की औसत पैदावार तय करेंगे।”
सहायक सांख्यिकी अधिकारी उपेन्द्र सहरावत ने बताया कि जिले के सभी गांवों में धान, बाजरा और मक्का के लिए चार-चार फसल कटाई प्रयोग किए जा रहे हैं।
इन प्रयोगों का उद्देश्य आकड़ों में शुद्धता लाना है, जिससे हर गांव की फसल उत्पादन क्षमता को बेहतर ढंग से समझा जा सके।
रैंडम सैम्पलिंग का तरीका:
उपेन्द्र सहरावत ने यह भी बताया कि प्रत्येक गांव में रैंडम नंबर और स्मार्ट सैम्पलिंग के माध्यम से चार-चार खेतों का चयन किया गया है,
जिसमें 5 बाई 5 के प्लॉट का उपयोग किया जा रहा है।
यह प्रक्रिया कृषि विभाग के अधिकारियों द्वारा की जा रही है
ताकि गांव स्तर पर सही औसत पैदावार निकाली जा सके।
फाने जलाने से बचें:
इस दौरान, अतिरिक्त निदेशक (सांख्यिकी) ने किसानों को यह भी समझाया
कि वे अपनी धान की फसल काटने के बाद फाने न जलाएं।
उन्होंने चेतावनी दी कि फाने जलाने से निकलने वाला धुआँ मानव स्वास्थ्य पर घातक प्रभाव डाल सकता है
और इससे जमीन की उपजाऊ शक्ति भी प्रभावित होती है।
डा. सौलंकी ने कृषि विभाग के कर्मचारियों को निर्देश दिया
कि वे किसानों को फाने जलाने के दुष्प्रभावों के बारे में अधिक से अधिक जानकारी दें,
ताकि किसान इससे बच सकें।
इस अवसर पर, संबंधित किसान के साथ-साथ कृषि विभाग के सांख्यिकी सहायक श्री नवीन दहिया,
खण्ड कृषि अधिकारी रायपुररानी श्री अमनदीप सिंह, और बीमा कंपनी के प्रतिनिधि भी उपस्थित रहे।
इस तरह के प्रयासों से हरियाणा के किसानों को न केवल फसल की बेहतर पैदावार का लाभ मिलेगा,
बल्कि कृषि विकास में भी नई ऊँचाइयाँ हासिल होंगी। कृषि विभाग के इस पहल से स्पष्ट होता है
कि आंकड़ों और विज्ञान के आधार पर खेती को और बेहतर बनाया जा रहा है, जो भविष्य में हरियाणा की कृषि को एक नई दिशा देगा।