क्या Tata Trusts का नया फैसला बदल देगा पारंपरिक बोर्डिंग खेल?

Tata Trusts

Tata Trusts ने निश्चित अवधि की नियुक्तियों को समाप्त कर दिया है और ट्रस्टियों को जीवनभर के सदस्य बना दिया है।

इस फैसले के बाद, बोर्ड के सदस्य तब तक सेवानिवृत्त नहीं होंगे जब तक कि वे इस्तीफा देने का निर्णय न लें।

नए सदस्यों की नियुक्ति अब केवल सर्वसम्मति से की जाएगी।

Tata Trusts दूसरी बोर्ड बैठक

यह निर्णय हाल ही में हुई ट्रस्टों की दूसरी बोर्ड बैठक में लिया गया,

जो नोएल टाटा को 11 अक्टूबर को ट्रस्ट्स का प्रमुख बनाए जाने के बाद आयोजित की गई थी।

सिर रतन टाटा ट्रस्ट और सिर डोराबजी टाटा ट्रस्ट के ट्रस्टी अब स्थायी सदस्य बन गए हैं,

जिससे निश्चित अवधि की नियुक्तियों की प्रणाली समाप्त हो गई है।

इन दोनों ट्रस्टों के पास मिलकर टाटा सन्स के आधे से अधिक शेयर हैं,

जो 165 अरब डॉलर के नमक से सॉफ्टवेयर समूह की होल्डिंग कंपनी है और समूह की सभी परोपकारी गतिविधियों का प्रबंधन करती है।

सिर रतन टाटा ट्रस्ट के पास टाटा सन्स का 27.98 प्रतिशत और सिर डोराबजी टाटा के पास 23.56 प्रतिशत शेयर हैं।

यह ट्रस्टों की बैठक नोएल टाटा के नियुक्त होने के बाद हुई,

जिनका चयन उनके सगे भाई रतन नवाल टाटा के 9 अक्टूबर को निधन के बाद किया गया।

टाटा सन्स उपभोक्ता सामान, होटल, ऑटोमोबाइल और एयरलाइंस में 30 कंपनियों का संचालन करती है

और जगुआर लैंड रोवर व टेटली टी जैसे ब्रांडों के लिए जानी जाती है।

इसके पास टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज, ताज होटल्स और एयर इंडिया भी हैं,

और यह भारत में स्टारबक्स और एयरबस जैसे प्रमुख साझेदारों को गिनती है।