Chhatrapati Shivaji Maharaj : महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग जिले में 26 अगस्त को हुए एक विवादास्पद घटना ने पूरे राज्य में तूफान मचा दिया है।
फोर्ट राजकोट पर स्थापित छत्रपति शिवाजी महाराज की भव्य मूर्ति अचानक ढह गई, जिससे पूरे इलाके में आक्रोश फैल गया।
इस घटना ने न केवल स्थानीय लोगों को आहत किया,
बल्कि राज्य सरकार और विपक्ष के बीच तीखी राजनीति की शुरुआत कर दी है।
इस घटना के बाद, पुलिस ने तत्काल कार्रवाई करते हुए नामित इंजीनियर चेतन पाटिल के खिलाफ FIR दर्ज की।
पाटिल ने दावा किया है कि उनका काम केवल मूर्ति के प्लेटफॉर्म का डिजाइन देना था,
मूर्ति से संबंधित काम एक थाणे की कंपनी ने किया था। पाटिल का कहना है कि उन्हें केवल प्लेटफॉर्म तक सीमित किया गया था,
और मूर्ति का निर्माण और स्थापना संबंधित कंपनी द्वारा किया गया था।
हालांकि, इस दावे के बावजूद, घटनास्थल पर हुए नुकसान को लेकर सवाल उठ रहे हैं और
कई राजनीतिक दलों ने इस मुद्दे पर जोरदार प्रतिक्रिया दी है।
राज्य सरकार के खिलाफ विपक्षी दलों ने मोर्चा खोल दिया है।
उन्होंने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे से इस्तीफा देने की मांग की है, यह कहते हुए कि
Chhatrapati Shivaji Maharaj के प्रति एक गंभीर अपमान
मूर्ति का ढहना 17वीं सदी के मराठा सम्राट छत्रपति शिवाजी महाराज के प्रति एक गंभीर अपमान है।
विपक्षी दलों का कहना है कि इस घटना ने न केवल छत्रपति शिवाजी महाराज की श्रद्धांजलि को प्रभावित किया है,
बल्कि यह राज्य सरकार की असमर्थता को भी उजागर करता है।
इस बीच, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता K C Venugopal ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सवाल किया है कि क्या वे इस घटना पर माफी मांगेंगे।
उन्होंने X पर एक ट्वीट करते हुए कहा, “सच्चे मोदी अंदाज में, प्राथमिकता 3 महीने के नोटिस पर जल्दबाजी में एक मूर्ति बनाने की थी,
ताकि चुनाव से ठीक पहले प्रधानमंत्री इसका उद्घाटन कर सकें। इतना ही नहीं, इस घटिया काम पर 236 करोड़ रुपये खर्च हुए!
क्या प्रधानमंत्री मोदी छत्रपति शिवाजी महाराज से अपनी व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाओं को महाराज की विरासत से ऊपर रखने के लिए माफ़ी मांगेंगे?
क्या प्रधानमंत्री 2024 के चुनावों से पहले जल्दबाजी में किए गए उद्घाटनों में व्याप्त भ्रष्टाचार पर सफाई देंगे?
प्रधानमंत्री मोदी और भाजपा द्वारा चुनावी उद्देश्यों
प्रधानमंत्री मोदी और भाजपा द्वारा चुनावी उद्देश्यों के लिए उद्घाटन किए गए सभी काम अब ढह रहे हैं।”
वहीं, कांग्रेस के जयराम रमेश ने X पर एक वीडियो साझा किया
जिसमें पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू 1957 में छत्रपति शिवाजी महाराज की मूर्ति का उद्घाटन करते हुए दिखाए गए हैं।
इस वीडियो के माध्यम से उन्होंने वर्तमान सरकार पर एक तीखा तंज कसा और यह दिखाया कि
कैसे तत्कालीन नेतृत्व ने भी शिवाजी महाराज की मूर्ति का उद्घाटन किया था, लेकिन आज के नेता इस पर नजरअंदाज कर रहे हैं।
इस मुद्दे ने केवल राजनीतिक गलियारों में हलचल नहीं मचाई है, बल्कि आम जनता में भी नाराजगी और असंतोष पैदा कर दिया है।
लोगों का कहना है कि इस घटना ने न केवल छत्रपति शिवाजी महाराज के सम्मान को ठेस पहुंचाई है,
बल्कि यह सरकारी ठेकेदारों और नेताओं की कार्यशैली की भी पोल खोल दी है।
इस पूरे मामले ने राज्य और केंद्र सरकार के बीच एक नई राजनीतिक लड़ाई को जन्म दे दिया है,
जिसमें आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला जारी है।
क्या यह विवाद सुलझेगा या यह एक नई राजनीतिक उथल-पुथल का रूप लेगा, यह देखने वाली बात होगी।