21 अगस्त, 2024 को “भारत बंद” के तहत एक राष्ट्रव्यापी हड़ताल आयोजित की गई है , जिसका आह्वान SC/ST आरक्षण को लेकर हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के विरोध में किया गया है। लेकिन क्या ये आंदोलन पुरे भारत में सफल रहा या फिर नहीं
बता दे की इस विरोध प्रदर्शन का आयोजन आरक्षण बचाओ संघर्ष समिति ने किया और इसे मुख्य रूप से राजस्थान के एससी/एसटी समूहों का बड़े पैमाने पर समर्थन देखने को मिला। वहीँ पंजाब में इसका नमात्र असर देखने को मिला। आम दिनों की तरह गतिविधियां भी सुचारू रूप से जारी रहीं.
भारत बंद के चलते बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश समेत देश के कई राज्यों में लोग विरोध प्रदर्शन करते नज़र आए। पटना में बंद समर्थकों को काबू करने के लिए पुलिस ने लाठीचार्ज किया और लोगों को काबू करने की कोशिश की लेकिन इसी बीच SDM पर भी पुलिसवाले ने लाठी भांज दी. इसके बाद तीन पुलिसकर्मी एसडीएम को घेर कर चलते हुए नजर आए.
साथ ही बात करे मध्यप्रदेश की आर्थिक राजधानी कहे जाने वाले इंदौर की तो वहाँ कोई असर नजर नहीं आया. बंद के दौरान जन-जीवन तथा कारोबारी गतिविधियां सामान्य बनी रहीं. चश्मदीदों ने बताया कि शहर की सड़कों पर यातायात आम दिनों की तरह नजर आया और माल परिवहन की गतिविधियां भी सुचारू रूप से जारी रहीं.
रिपोर्ट्स के अनुसार, राजस्थान में पुलिस बलों की तैनाती बढ़ा दी गई है और स्थानीय एससी/एसटी संगठनों के साथ समन्वय स्थापित किया गया है ताकि शांतिपूर्ण प्रदर्शन सुनिश्चित किया जा सके।
कई रिपोर्टों के अनुसार, सर्वोच्च न्यायालय के फैसले ने राज्यों को एससी और एसटी समूहों के भीतर उप-श्रेणियां बनाने की अनुमति दी, जिसमें कहा गया, “जिन्हें वास्तव में इसकी आवश्यकता है, उन्हें आरक्षण में प्राथमिकता मिलनी चाहिए।”इस निर्णय पर व्यापक बहस छिड़ गई है और रिपोर्टों में कहा गया है कि भारत बंद का मुख्य उद्देश्य आरक्षण पर सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय को चुनौती देना और इसे पलटने की मांग करना है।