चंडीगढ़, 30 मई: सरकारी कर्मचारियों के लिए आने वाला समय बेहद खास हो सकता है। लंबे समय से 8वें वेतन आयोग की चर्चा सिर्फ वेतन और भत्तों में बढ़ोतरी तक सिमटी हुई थी, लेकिन अब इसमें एक और महत्वपूर्ण पहलू जुड़ने जा रहा है – कर्मचारियों के लिए बीमा कवर में बड़ा इजाफा। यह बदलाव केवल एक आर्थिक सहारा नहीं, बल्कि सरकारी सेवा में लगे लाखों परिवारों के लिए एक भरोसे की दीवार बन सकता है।
बीमा कवर की मांग क्यों हुई ज़रूरी?
देशभर में केंद्र सरकार के कर्मचारी जिस बीमा योजना के तहत आते हैं, उसका नाम है CGEGIS – Central Government Employees Group Insurance Scheme। यह स्कीम 1982 से लागू है, लेकिन आज के बदलते समय में यह न तो राशि के हिसाब से पर्याप्त है और न ही सामाजिक सुरक्षा के लिहाज़ से संतोषजनक मानी जाती है।
वर्तमान में यह बीमा कुछ इस तरह बंटा हुआ है:
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ग्रुप A: ₹1,20,000 (मासिक अंशदान ₹120)
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ग्रुप B: ₹60,000 (मासिक अंशदान ₹60)
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ग्रुप C: ₹30,000 (मासिक अंशदान ₹30)
आज जब इलाज, शिक्षा और सामान्य जीवन यापन की लागत आसमान छू रही है, तो इन बीमा राशियों को लेकर लंबे समय से असंतोष बना हुआ है। कर्मचारियों की मांग रही है कि उनकी सेवा और बलिदान के अनुरूप उनके परिवारों को भी पर्याप्त सुरक्षा मिले।
8वें वेतन आयोग में क्या हो सकता है बदलाव?
सरकारी सूत्रों के अनुसार, इस बार वेतन आयोग सिर्फ वेतन वृद्धि की सिफारिशें नहीं देगा, बल्कि बीमा कवर को लेकर भी एक ठोस प्रस्ताव रखा जा सकता है।
प्रस्तावित बदलावों में मुख्य बातें:
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बीमा कवर ₹10 लाख से ₹15 लाख तक बढ़ाया जा सकता है।
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यह बीमा कवर टर्म इंश्योरेंस मॉडल पर आधारित होगा, जिससे अधिक व्यावहारिक और फायदेमंद योजना बन सके।
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मौजूदा अंशदान राशि ₹120 की जगह, नए मॉडल में इसे ₹500 तक किया जा सकता है, ताकि उच्च बीमा राशि संभव हो सके।
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सरकार की कोशिश होगी कि यह बदलाव कर्मचारियों पर आर्थिक बोझ न डाले, बल्कि एक स्थायी और प्रभावशाली सुरक्षा प्रदान करे।
पिछली कोशिश क्यों नहीं सफल हो सकी?
7वें वेतन आयोग ने भी बीमा योजना में सुधार की सिफारिश की थी, जिसमें तीन वैकल्पिक बीमा विकल्प रखे गए थे – ₹15 लाख, ₹25 लाख और ₹50 लाख। लेकिन उस समय प्रस्तावित अंशदान ₹1,500 से ₹5,000 मासिक तक थे, जो कर्मचारियों को बहुत ज्यादा लगे और योजना आगे नहीं बढ़ सकी।
इस बार सरकार ज्यादा यथार्थवादी और कर्मचारियों के हितों को ध्यान में रखते हुए योजना तैयार करने पर विचार कर रही है।
यूनियनों की बढ़ती आवाज और दबाव
देशभर की कर्मचारी यूनियनों, विशेषकर AISGEF (All India State Government Employees Federation), ने बीमा कवर को बढ़ाने की मांग को अपनी प्रमुख प्राथमिकताओं में शामिल किया है। यूनियनों का कहना है कि जब कोई सरकारी कर्मचारी ड्यूटी के दौरान अपने प्राणों की आहुति देता है, तो उसके परिवार को कम से कम ₹15 लाख की वित्तीय सुरक्षा मिलनी चाहिए।
उनका मानना है कि सरकारी सेवा का अर्थ सिर्फ कामकाज नहीं, बल्कि जोखिम भी होता है – और ऐसे में सरकार को अपने कर्मियों के परिवारों के साथ खड़ा होना चाहिए।
कब आएगा फैसला और कब से लागू होगा?
8वें वेतन आयोग की अधिसूचना 2025 में आने की संभावना है। आयोग की सिफारिशें 1 जनवरी 2026 से लागू मानी जा सकती हैं। अगर बीमा योजना को औपचारिक रूप से शामिल किया जाता है, तो उसी तारीख से इसका प्रभाव भी शुरू हो जाएगा।
सरकारी कर्मचारियों के लिए क्या होगा फायदा?
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बढ़ी हुई बीमा राशि एक मजबूत आर्थिक सहारा देगी।
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ड्यूटी के दौरान हादसे या आकस्मिक मृत्यु की स्थिति में परिवार को बेहतर सुरक्षा मिलेगी।
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नौकरी में एक नई स्थिरता और भरोसा विकसित होगा।
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रिटायरमेंट के समय भी अधिक सहायता मिलने की संभावना बढ़ेगी।