पुलिस हिरासत में एक लड़की की मौत के मामले में Punjab पुलिस की SIT द्वारा की गई जांच में खामियां बताते हुए Punjab-Haryana High Court ने अब जांच CBI को सौंप दी है. हाईकोर्ट ने CBI को तीन महीने के भीतर जांच रिपोर्ट सौंपने का आदेश दिया है.
याचिका दाखिल करते हुए मुकुल गर्ग ने कहा कि याचिकाकर्ता और उसकी मंगेतर रमनदीप कौर को पुलिस ने अगस्त 2017 में लुधियाना में दर्ज धोखाधड़ी के एक मामले में पूछताछ के लिए उठाया था. इसके बाद उसकी मंगेतर को बेरहमी से पीटा गया और उसकी मौत हो गई. जब याचिकाकर्ता के परिवार वालों ने इसकी शिकायत उच्च अधिकारियों से की तो तुरंत लीपापोती शुरू कर दी गई और इसे आत्महत्या का मामला बना दिया गया. याचिका दायर होने के बाद हाईकोर्ट के आदेश पर 2019 में SIT का गठन किया गया था. SIT ने गैर इरादतन हत्या का मामला दर्ज कर जांच शुरू की थी.
Punjab सरकार ने कहा कि याचिकाकर्ता ने मजिस्ट्रेट के सामने बयान दिया था कि मृतक का उसके अलावा कोई नहीं था, जबकि उसने SIT को बताया कि लड़की का उसके परिवार का इंतजार किए बिना जबरन अंतिम संस्कार कर दिया गया था. ऐसे में बयान में बदलाव की दलील देते हुए जांच CBI को न सौंपने की अपील की गई.
हाई कोर्ट ने जब SIT की रिपोर्ट देखी तो पाया कि उस चाकू का कोई जिक्र नहीं है जिसने इस केस में बेहद अहम भूमिका निभाई थी. मृतक के दोनों हाथों की कलाइयां कटी हुई थीं। चाकू मृतक के अंडरवियर में पाया गया और उसे ASI सुखदेव सिंह को सौंप दिया गया। इसके बाद यह गायब हो गया और इसकी जांच न तो पुलिस ने की और न ही SIT ने. बड़ा सवाल यह है कि पुलिस हिरासत में रमनदीप कौर के पास चाकू कहां से पहुंचा और पोस्टमार्टम के बाद वह चाकू कहां गायब हो गया।
हाई कोर्ट ने कहा कि SIT जांच में कई खामियां हैं और ऐसे में लोगों का कानून पर भरोसा बनाए रखने के लिए निष्पक्ष जांच जरूरी है. हाईकोर्ट ने इस मामले की जांच CBI को सौंप दी है और तीन महीने के भीतर रिपोर्ट सौंपने का आदेश दिया है.