इस बार का लोकसभा चुनाव कई मायनों में काफी अलग है. इस बार के चुनाव में उन राजनीतिक पार्टियों के साथ गठबंधन देखने को मिला है जो कभी एक दूसरे के धूर विरोधी रहे थे और एक दूसरे को कोसते नहीं थकते थे. हालांकि, देश की सियासत का मिजाज अब बदल चुका है और एक तरफ 50 से अधिक पार्टियों के साथ एनडीए है तो दूसरी ओर 25 से अधिक पार्टियों के कुनबे के साथ इंडिया गठबंधन है जिसमें कांग्रेस, आम आदमी पार्टी और कई अन्य विपक्षी पार्टिया हैं. इस बार के चुनाव में कई दिलचस्प चीजें भी देखने को मिल रही है.
आजादी के बाद पहली बार 2024 के लोकसभा चुनाव में गांधी परिवार कांग्रेस को वोट नहीं दे पाएगा. वहीं आम आदमी पार्टी का केजरीवाल परिवार भी इन चुनावों में झाड़ू के निशान पर बटन नहीं दबा पाएगा. इसके पीछे कोई खास नहीं बल्कि सियासी वजह है. ऐसा नहीं है कि गांधी परिवार वोट नहीं करेगा, वोट तो करेगा, लेकिन दूसरी पार्टी को.
नई दिल्ली सीट पर गांधी परिवार का वोट
दरअसल, दिल्ली में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच समझौता होने से एक दिलचस्प तस्वीर उभर कर सामने आई है. समझौते के तहत नई दिल्ली की सीट आप को मिली है, तो चांदनी चौंक की सीट कांग्रेस के खाते में गई है. अब नई दिल्ली सीट पर गांधी परिवार के चारों सदस्य सोनिया, राहुल, प्रियंका, रॉबर्ट वाड्रा का वोट है, वहां से कांग्रेस की बजाय आप उम्मीदवार सोमनाथ भारती इंडिया गठबंधन की तरफ से बीजेपी उम्मीदवार सुषमा स्वराज की बेटी बांसुरी स्वराज का मुकाबला कर हैं. ऐसे मजबूरी में गांधी परिवार को अपने हाथ से झाड़ू का बटन दबाना होगा.
पार्टी को वोट नहीं करने पर क्या बोली सुप्रिया श्रीनेत?
कांग्रेस परिवार के वोट को लेकर किए गए सवाल पर पार्टी की प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि इंडिया ब्लॉक के सदस्य हैं तो इसमें तकलीफ वाली कोई बात नहीं है. साथ मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं. वहीं केजरीवाल परिवार के सदस्यों का वोट चांदनी चौक लोकसभा में आता है, जो कि कांग्रेस के कोटे में है तो जाहिर है केजरीवाल और उनका परिवार झाड़ू छोड़ हाथ का बटन दबाएगा. हालांकि, कांग्रेस ने अब तक उम्मीदवार का ऐलान नहीं किया है.
कांग्रेस आखिरी वक्त तक मांगती रही नई दिल्ली की सीट
सूत्रों की मानें तो गांधी परिवार के वोट के चलते आखिरी वक्त तक कांग्रेस दिल्ली में चौथी सीट नई दिल्ली इसीलिए मांग रही थी, लेकिन आम आदमी पार्टी तैयार नहीं हुई. कांग्रेस की डिमांड पर आम आदमी पार्टी ने यही तर्क दिया कि जो गांधी परिवार की स्थिति होगी वही केजरीवाल परिवार की रहेगी. साथ ही इससे इंडिया गठबंधन को दिल्ली में और मजबूती मिलेगी.