नई दिल्ली
चुनावी दलों को इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए चंदा देने का मामला आजकल सुर्खियों में है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर एसबीआई ने इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदने वाली कंपनियों की लिस्ट चुनाव आयोग को दी है। इलेक्टोरल बॉन्ड की शुरुआत 2017 में हुई थी। लेकिन इलेक्टोरल बॉन्ड योजना की घोषणा के बाद बनी 60 से अधिक कंपनियों ने बॉन्ड के जरिए राजनीतिक दलों को करीब 250 करोड़ रुपये दिए। इसमें से 100 करोड़ रुपये से अधिक यानी करीब 40% बीजेपी को दिए गए। तेलंगाना की पार्टी बीआरएस को करीब 61 करोड़ रुपये मिले। बीजेपी और बीआरएस ने मिलकर इन कंपनियों से मिले 162.2 करोड़ रुपये मूल्य के बॉन्ड भुनाए। यह राशि इन कंपनियों द्वारा इलेक्टोरल बॉन्ड के रूप में दी गई कुल रकम का करीब 65% से अधिक है।
इन कंपनियों से सबसे ज्यादा चंदा लेने वाली पार्टियों की लिस्ट में कांग्रेस तीसरे नंबर पर है। उसने 32 करोड़ रुपये मूल्य के बॉन्ड भुनाए। टीडीपी और तृणमूल चौथे और पांचवें स्थान पर रही। इनमें से प्रत्येक को लगभग 13 करोड़ रुपये मूल्य के बॉन्ड मिले। इनके अलावा, आरजेडी, डीएमके, शिवसेना और बीजेडी को भी इन कंपनियों से 5 करोड़ रुपये या उससे अधिक मूल्य के बॉन्ड मिले। इस योजना की घोषणा पहली बार 2017-18 के बजट भाषण में की गई थी। लेकिन पहले बॉन्ड मार्च 2018 में जारी किए गए थे। साल 2017 से पहले, कंपनी अधिनियम, 2013 एक कंपनी को पिछले तीन वर्षों के औसत लाभ का केवल 7.5% तक दान करने की अनुमति देता था। इस मानदंड के अनुसार, 2017 के बाद से बनी कई कंपनियां राजनीतिक चंदे के लिए पात्र नहीं होतीं। सरकार ने कंपनियों पर यह प्रतिबंध हटाने के लिए कानून में संशोधन किया।
नियम में बदलाव
तीन वर्षों के औसत लाभ के 7.5% की सीमा हटाए जाने के साथ, कुछ कंपनियों ने अपने लाभ का एक बड़ा हिस्सा या लाभ से भी अधिक दान किया। यहां तक कि कुछ घाटे में चल रही कुछ कंपनियों ने भी चुनावी बॉन्ड के माध्यम से राजनीतिक दलों को चंदा दिया। अब कंपनियां उसी साल दान दे सकती है जिस साल उनकी स्थापना हुई है। पहले यह संभव नहीं था। उदाहरण के लिए Tsharks Overseas Education Consultants और Tsharks Infra Developers Private Limited ने BRS को 4 करोड़ रुपये और 3.5 करोड़ रुपये का दान दिया। इन कंपनियों को स्थापान 2023 में हुई थी। इसी तरह, 2018 में बनी HH Iron and Steel Private Limited ने 2019-20 और 2021-22 के बीच तीन वर्षों में 5.6 करोड़ रुपये का प्रॉफिट कमाया, लेकिन बीजेपी को 15 करोड़ रुपये और बीजेडी को 5 करोड़ रुपये का दान दिया।
कुल मिलाकर नई कंपनियों में से छह ने चुनावी बॉन्ड के जरिए 10 करोड़ रुपये से अधिक का चंदा दिया। इनमें से LCC Projects Private Limited ने सबसे अधिक 31.5 करोड़ रुपये का चंदा दिया। 2017 में बनी इस कंपनी ने पूरा चंदा बीजेपी को दिया। इसी तरह अपर्णा फार्म्स एंड एस्टेट्स एलएलपी ने 30 करोड़ रुपये का चंदा दिया। 2020 में बनी इस कंपनी ने कांग्रेस और बीआरएस को 15-15 करोड़ रुपये दिए। अस्कस लॉजिस्टिक्स और HH आयरन एंड स्टील ने 20 करोड़ रुपये से अधिक का दान दिया है। 2018 में बनी टीवीएस मोबिलिटी प्राइवेट लिमिटेड ने 16 करोड़ रुपये का दान दिया जो पूरी तरह बीजेपी की झोली में गया।