‘अभी यह याचिका असमय है…’, High Court ने पटियाला में केक खाने से बच्ची की मौत के मामले में याचिका को रद्द

'अभी यह याचिका असमय है...', High Court ने पटियाला में केक खाने से बच्ची की मौत के मामले में याचिका को रद्द

Patiala Cake Incident: केक खाने के बाद संदिग्ध परिस्थितियों में लड़की की मौत के मामले में Punjab-Haryana High Court ने मिलावटखोरों के खिलाफ कार्रवाई और खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम का उचित अनुपालन सुनिश्चित करने के निर्देश जारी करने की मांग वाली याचिका खारिज कर दी.

याचिका दायर करते हुए मोहाली निवासी एडवोकेट Kunwar Pahul Singh ने High Court को बताया कि 24 मार्च 2024 को 10 साल की बच्ची मानवी की उसके जन्मदिन पर केक खाने से मौत (Death by Eating Cake) हो गई थी. याचिकाकर्ता ने कहा कि हाल के दिनों में मिलावट का खेल काफी बढ़ गया है लेकिन सक्षम अधिकारियों द्वारा इसे रोकने के लिए कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है.

बाजारों में चल रहा निरीक्षण

साल 2013 में Supreme Court ने भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण को मिलावट रोकने और मिलावट के धंधे पर लगाम लगाने के लिए बाजारों का लगातार निरीक्षण करने का आदेश दिया था. 2016 में एक अन्य मामले में Supreme Court ने सभी राज्यों को खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम का अनुपालन सुनिश्चित करने का आदेश दिया था.

Supreme Court ने केंद्र और राज्य को आदेश दिया था कि डेयरी और अन्य तरह का काम करने वालों को चेतावनी दी जाए और कहा जाए कि अगर ऐसा साबित हुआ तो उनके खिलाफ ठोस कार्रवाई की जाएगी. इसके बावजूद मिलावट का धंधा नहीं रुक रहा है.

24 मार्च को इंसानी मिलावट का शिकार

24 मार्च को मोहाली की रहने वाली मानवी भी ऐसी ही एक मिलावट का शिकार हो गईं. इस मामले में सिविल सर्जन ने जांच के आदेश दे दिए हैं और हाल ही में स्वास्थ्य मंत्री ने बच्ची के घर जाकर परिजनों से मुलाकात की थी और जांच के आदेश दिए थे. याचिकाकर्ता ने कहा कि मजबूत सिस्टम विकसित किए बिना मिलावट के इस कारोबार को रोका नहीं जा सकता.

नियमों का कड़ाई से पालन सुनिश्चित करने के लिए नियमित रूप से औचक निरीक्षण किया जाना चाहिए। ऐसे में जनहित याचिका में इसका अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए राज्य और केंद्र सरकार को आवश्यक निर्देश जारी करने की मांग की गई थी.

High Court ने कहा कि मांग पत्र दाखिल हुए अभी कुछ दिन भी नहीं बीते हैं और Punjab पुलिस मामले की जांच कर रही है. ऐसे में यह याचिका अपरिपक्व है इसलिए इसे खारिज कर दिया गया.

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